2024-09-30
1. मृदा अपरदन: पारंपरिक कृषि पद्धतियों को शामिल करते हुए निरंतर रोपण से मृदा अपरदन में वृद्धि होती है। निरंतर जुताई का कार्य मिट्टी के कणों को नष्ट करने में योगदान दे सकता है, जिससे मिट्टी का क्षरण होता है और अंततः मिट्टी का क्षरण होता है।
2. रासायनिक निक्षालन: बीज बोने की मशीन का उपयोग करने में विभिन्न रासायनिक अनुप्रयोगों जैसे कि उर्वरक, कीटनाशक और अन्य उपचारों का उपयोग शामिल होता है। इन रसायनों के उपयोग से मिट्टी पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे हानिकारक रसायन नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में चले जाते हैं। अंततः, इससे समुद्री जीवन और वन्यजीव आवासों का विनाश हो सकता है।
3. वायु प्रदूषण: मक्के के बीज बोने की मशीन के उपयोग से वायु प्रदूषण बढ़ने से पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पारंपरिक कृषि पद्धतियों को अपनाने से जीवाश्म ईंधन का उपयोग बढ़ गया है, जो वायुमंडल में कार्बन ऑक्साइड छोड़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन होता है।
1. संरक्षण जुताई: यह कृषि पद्धति मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ को बनाए रखने के लिए डिज़ाइन की गई है, जिससे मिट्टी के कटाव को रोका जा सके।
2. एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम): इसमें कीट नियंत्रण तकनीकों का उपयोग शामिल है जो पारंपरिक कीटनाशकों और जड़ी-बूटियों की तुलना में पर्यावरण के लिए कम हानिकारक हैं।
कृषि खेती में मक्के के बीज बोने की मशीन के उपयोग से पर्यावरण पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के पर्यावरणीय प्रभाव पड़ते हैं। हालाँकि, संरक्षण जुताई और एकीकृत कीट प्रबंधन जैसी टिकाऊ कृषि प्रथाओं को लागू करने से इन नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।
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